हे मेरे प्रभु
आया हूं आज आपके दर पर अपना शीश झुका के
अपने गमों को दबा के, अपने दर्द को छुपा के
आज अपना मोह छोड़ कर आया प्रभु
अपनी चरणों में ले मुझे
थक गया हूं इस मोह माया से अपनी शरण में ले मुझे
छोड़ दिया अहंकार अपना, छोड़ दिया अभिमान है
हे प्रभु !!
आपके लिए मेने छोड़ा अपना संसार है
हे ज्ञानी परमात्मा !! हे कर्तानिधान !!
हे सृष्टि के पालक!!
सुन लीजिए मांग
की खुद तो रोया पर नही रुलाया किसी को
खुद दर्द में रहा पर नही दिया दर्द किसी को
थक गया प्रभु बस अब नही है आस किसी की
ले लीजिए अपनी शरण में प्रभुजी
अब तो आस है बस आपकी
© shadow
अपने गमों को दबा के, अपने दर्द को छुपा के
आज अपना मोह छोड़ कर आया प्रभु
अपनी चरणों में ले मुझे
थक गया हूं इस मोह माया से अपनी शरण में ले मुझे
छोड़ दिया अहंकार अपना, छोड़ दिया अभिमान है
हे प्रभु !!
आपके लिए मेने छोड़ा अपना संसार है
हे ज्ञानी परमात्मा !! हे कर्तानिधान !!
हे सृष्टि के पालक!!
सुन लीजिए मांग
की खुद तो रोया पर नही रुलाया किसी को
खुद दर्द में रहा पर नही दिया दर्द किसी को
थक गया प्रभु बस अब नही है आस किसी की
ले लीजिए अपनी शरण में प्रभुजी
अब तो आस है बस आपकी
© shadow