...

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ढलती शाम
ग़ौर  से  एक  ढलती  हुई शाम देखना कभी।
लौटते  हुए  परिंदों  की  शान  देखना  कभी।

आसमान छूने के बाद वापस कौन लौटता है,
नन्हे  परिंदों  के  लिए बलिदान देखना कभी।

भूत  और  भविष्य  में  ज्यादा  मत  उलझ तू,...