काश हमने मसलो को नहीं रिश्ते को जरूरी समझा होता
कुछ अल्फ़ाज़ अधूरे हैं, कुछ जज़्बात अधूरे हैं
कुछ तुम अधूरे हो, कुछ हम अधूरे हैं x(2)
इस आधी- अधूरी सी जिंदगी में कुछ मसले हैं जो पूरे है ।
ना होते हम- तुम यूँ अधूरे जो हमने मसलो को पूरा करने में वक़्त ज़ाया ना किया होता ।
अल्फाज़ो को बयाँ किया होता, जज़्बातों को ना छुपाया होता।
काश हमने मसलो को नहीं रिश्ते को जरूरी समझा होता ।
जो अल्फ़ाज़ बयाँ ना हुए उन्हें समझा होता
जो जज़्बात जतलाए ना गए उन्हें समझा होता ।
काश हमने मसलो को नहीं रिश्ते को जरूरी समझा होता।
-Monika
कुछ तुम अधूरे हो, कुछ हम अधूरे हैं x(2)
इस आधी- अधूरी सी जिंदगी में कुछ मसले हैं जो पूरे है ।
ना होते हम- तुम यूँ अधूरे जो हमने मसलो को पूरा करने में वक़्त ज़ाया ना किया होता ।
अल्फाज़ो को बयाँ किया होता, जज़्बातों को ना छुपाया होता।
काश हमने मसलो को नहीं रिश्ते को जरूरी समझा होता ।
जो अल्फ़ाज़ बयाँ ना हुए उन्हें समझा होता
जो जज़्बात जतलाए ना गए उन्हें समझा होता ।
काश हमने मसलो को नहीं रिश्ते को जरूरी समझा होता।
-Monika