"प्रेम"
प्रेम वो सागर है जिसकी सीमा नहीं होती,
प्रेम वो सागर है जिसका अंत नहीं होता।
प्रेम तो कण-कण में होता है,
ये तो सर्वोपरि शक्ति का नाम है।
प्रेम को शब्दों में समझाया नहीं जा सकता,
बस इसे सर्द में चलती हुई मन्द-मन्द हवा की तरह महसूस किया जा सकता है।
प्रेम मनुष्य को जीवन में आगे लेके जाता है,
प्रेम मनुष्य को ताकतवर बनाता है,
प्रेम...
प्रेम वो सागर है जिसका अंत नहीं होता।
प्रेम तो कण-कण में होता है,
ये तो सर्वोपरि शक्ति का नाम है।
प्रेम को शब्दों में समझाया नहीं जा सकता,
बस इसे सर्द में चलती हुई मन्द-मन्द हवा की तरह महसूस किया जा सकता है।
प्रेम मनुष्य को जीवन में आगे लेके जाता है,
प्रेम मनुष्य को ताकतवर बनाता है,
प्रेम...