18 views
शिखर
एक अजनबी से मोहब्बत हुए परछाई बनकर
उसकी इश्क़ की निगाहो में कातील बनकर।।
बेरंग से मौसम में वो मिला रंग बनकर
उसकी याद आई वो मिला बारिश बनकर ।।
क्या पता था रिश्तो की करीबी मिलेगी
रास्तो की दूरी बनकर।।
फिर भी यकीनंन इश्क़ में मन्जील मिलेगी
शिखर बनकर।।
उसकी इश्क़ की निगाहो में कातील बनकर।।
बेरंग से मौसम में वो मिला रंग बनकर
उसकी याद आई वो मिला बारिश बनकर ।।
क्या पता था रिश्तो की करीबी मिलेगी
रास्तो की दूरी बनकर।।
फिर भी यकीनंन इश्क़ में मन्जील मिलेगी
शिखर बनकर।।
Related Stories
11 Likes
1
Comments
11 Likes
1
Comments