...

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शिखर
एक अजनबी से मोहब्बत हुए परछाई बनकर
उसकी इश्क़ की निगाहो में कातील बनकर।।
बेरंग से मौसम में वो मिला रंग बनकर
उसकी याद आई वो मिला बारिश बनकर ।।
क्या पता था रिश्तो की करीबी मिलेगी
रास्तो की दूरी बनकर।।
फिर भी यकीनंन इश्क़ में मन्जील मिलेगी
शिखर बनकर।।