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बीएसपी पतन की और
जैसा कि पिछले चुनावों में लगातार अपनी करारी हार के बाद क्या बीएसपी फिर खड़ी हो पायेगी?
क्या बीएसपी राष्ट्रीय पार्टी रहेगी भी या फिर आने वाले वक्त में यह एक क्षेत्रीय पार्टी बनकर ही रह जाएगी?
क्या बहन मायावती इस देश की प्रधानमंत्री बन पायेगी ? आइये नजर डालते है, हमारे कुछ व्यूज पर।
जैसा कि प्रश्न उठता है पिछले चुनावों में बीएसपी की निरंतर हार का , तो कहना चाहूंगा कि बीएसपी का हारने का प्रमुख कारण खुद बहन जी की बैड प्लानिंग रही है। कहा जाता है कि आप भले ही किसी भी क्षेत्र में हो मगर आप उस क्षेत्र में सक्सेस प्राप्त नहीं कर सकते,जब तक कि आपकी प्लानिंग सही दिशा में नही हो। इसके अलावा मायावती इस समय अहं और बिना संघर्ष ऐश्वर्य की राह पर चल पड़ी है। बिल्कुल, मुझे यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है । फिर दूसरी वजह नेपोटिज्म अर्थात परिवारवाद भी है। अतः मायावती जी अबकी राजनीति में युवाओं को मौका देना नहीं चाहती। और इसके अलावा कहना चाहूंगा कि मायावती जी से अब राजनीति से संन्यास लेना बेहतर है। क्योंकि अब ऐसा लगता है उनके अब सामर्थ्य में नहीं है । और यदि उनके अपने ही समाज से दूसरे नेताओं का उनके बराबर टक्कर देना, उनके लिए ख़तरे की घंटी जैसा लगने लगा है।अब पिछले कई चुनावों में यूपी,राजस्थान समेत अनेक राज्यों में करारी हार मिली है। इसका सबसे बड़ा कारण उनका संघर्ष नहीं करना है। सभी पार्टियों के लोग अनेक राज्यों में क्षेत्रीय स्तर पर भी प्रचार करने हेतु रात दिन एक करते है। मगर अब तक के चुनावों में बहन जी जैसे उदाहरण के तौर पर राजस्थान में दो जगह ही प्रचार करके चली गई। फिर होना क्या था ,बहन जी को राजस्थान के केवल अलवर के मत्स्य क्षेत्र से तीन सीटें ही मिली।
मगर अब आने चुनावों में बहन जी केवल यूपी तक ही सिमट जाएगी। क्योंकि बीएसपी अब राष्ट्रीय दल से क्षेत्रीय दल में परिवर्तित होने जा रही है। और अगले कुछ वर्षों में निश्चित ही नये नये नेता उभर आयेंगे । अतः बीएसपी पूर्णतया स्वत: ही खत्म हो जाएगी । एक और अपने कुनबे से निकले तेजतर्रार युवा नेता चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण भीम आर्मी व आजाद समाज पार्टी को लेकर वह अब समझौता नहीं चाहती। तो दूसरी ओर वह रुलिंग पार्टी बीजेपी द्वारा लगाई जा रही सीबीआई और ईडी की कार्रवाई से भी अब भयभीत है ।
किंतु यदि आने वाले समय में बहन जी अपनी नीति में बदलाव करती है तो संभव है कि बीएसपी एक बार फिर उभर कर आये। मगर अब यह कहना एक चुनौती है कि बीएसपी अब टिकाऊ पार्टी रह पायेगी।


© जितेन्द्र कुमार "सरकार "