समझा ज़िन्दगी को तो
ज़िन्दगी से ज़िन्दगी जीने के कई तजुर्बे मिले
कई रिश्ते अपने तो कई अपने पराये से मिले
हर बार चाह मे सकू की इक़ नए ग़म से मिले
उठकर चले जो ग़म से तो इक़ नई राह से मिले
बिखेरा वक़्त...
कई रिश्ते अपने तो कई अपने पराये से मिले
हर बार चाह मे सकू की इक़ नए ग़म से मिले
उठकर चले जो ग़म से तो इक़ नई राह से मिले
बिखेरा वक़्त...