बचपन जीना है।
ए खुदा मुझे फिर से बचपन जीना है।
मां के आंचल में मुझे फिर छिपना है।
लोरी सुनाए नींद बुलाए नानी दादी!
फिर से मुझको गहरी नींद सोना है।
न गिला करे कोई न शिकवा करे कोई!
सबके चेहरे पे मुझे मुस्कान देखना है।
ए खुदा मुझे फिर से बचपन जीना है।
मां के हांतों से मुझे फिर से खाना है।
© महज़
मां के आंचल में मुझे फिर छिपना है।
लोरी सुनाए नींद बुलाए नानी दादी!
फिर से मुझको गहरी नींद सोना है।
न गिला करे कोई न शिकवा करे कोई!
सबके चेहरे पे मुझे मुस्कान देखना है।
ए खुदा मुझे फिर से बचपन जीना है।
मां के हांतों से मुझे फिर से खाना है।
© महज़
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