...

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बचपन जीना है।
ए खुदा मुझे फिर से बचपन जीना है।
मां के आंचल में मुझे फिर छिपना है।

लोरी सुनाए नींद बुलाए नानी दादी!
फिर से मुझको गहरी नींद सोना है।

न गिला करे कोई न शिकवा करे कोई!
सबके चेहरे पे मुझे मुस्कान देखना है।

ए खुदा मुझे फिर से बचपन जीना है।
मां के हांतों से मुझे फिर से खाना है।
© महज़