नारी सशक्तिकरण
"नारी सशक्तिकरण"
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नारी हूं अबला नहीं समझो मुझे! अपने पुरुष होने पर न कभी अभिमान करो !
याद करो, नारी की कोख की उपज हो तुम !
जीवन देने के पहले से ही तुम्हारा भार लिए फिरती रहीं! और मृत्युपरांत तक तुम्हारे हित में ही सोचती रही !
नारी को ना समझो कमजोर तुम, कम में ना आंको इन्हें !
नारी तो पुरुषों का अस्त्र और शस्त्र है !
उसके जीवन की ढ़ाल है !
उसके जरूरतों की दुकान है! नारी का करो आदर सदा !
ना उनका अपमान करो !
नारी रूप है...
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नारी हूं अबला नहीं समझो मुझे! अपने पुरुष होने पर न कभी अभिमान करो !
याद करो, नारी की कोख की उपज हो तुम !
जीवन देने के पहले से ही तुम्हारा भार लिए फिरती रहीं! और मृत्युपरांत तक तुम्हारे हित में ही सोचती रही !
नारी को ना समझो कमजोर तुम, कम में ना आंको इन्हें !
नारी तो पुरुषों का अस्त्र और शस्त्र है !
उसके जीवन की ढ़ाल है !
उसके जरूरतों की दुकान है! नारी का करो आदर सदा !
ना उनका अपमान करो !
नारी रूप है...