काली स्याही के अनेक रंग….!!!!!
ये काली स्याही की कलम….
ना जाने कितने रंगों से रूबरू कराती है ,
खुद बेरंग होकर हमको जिंदगी के हजारो रंग दे जाती है।। कभी कोई फसाना….
कभी मोहब्बत का तराना।।
कभी प्रेम का एहसास….
कभी रिश्तो को खोने का आभास।।
कभी उम्मीद की एक नई किरण….
कभी दे जाती है मुस्कुराने का कोई कारण।।
कभी बुझा देता है दो दिलों की आग….
कभी जला देती है खुशियों के चिराग़।।
कभी बढ़ा देती है फ़ासला….
कभी बदल देती है फैसला।।
कभी सीमेट देती है दिल में हजारों जज़्बात….
कभी याद दिला देती है पुरानी बात।।
कभी दिखाती है अत्यधिक संघर्ष….
कभी भर देती है जीवन में हर्ष।।
कभी दे जाती है हताशा….
कभी बढ़ा देती है खुशियां बेतहाशा।।
कभी अल्फाज़ों से यादों को रखती है बरकरार….
कभी दिखा देती है एक ही व्यक्तित्व के अनेकों किरदार।।
कभी रूबरू कराती है वीरों की कथाओं से….
कभी व्यथित करा देती है मनुष्य की व्यथाओं से।।
कभी दिखाती है सफ़र है कितना दुर्गामी….
कभी दिखाती है असफ़लता और मात्र नाकामी।।
कभी देती है चेहरे पर मुस्कान….
कभी बताती है जिंदगी है कितनी आसान।।
ये हैं कुछ जिंदगी के वो रंग….
जो दिखते हैं कलम के संग।।।।
-ज्योति खारी
ना जाने कितने रंगों से रूबरू कराती है ,
खुद बेरंग होकर हमको जिंदगी के हजारो रंग दे जाती है।। कभी कोई फसाना….
कभी मोहब्बत का तराना।।
कभी प्रेम का एहसास….
कभी रिश्तो को खोने का आभास।।
कभी उम्मीद की एक नई किरण….
कभी दे जाती है मुस्कुराने का कोई कारण।।
कभी बुझा देता है दो दिलों की आग….
कभी जला देती है खुशियों के चिराग़।।
कभी बढ़ा देती है फ़ासला….
कभी बदल देती है फैसला।।
कभी सीमेट देती है दिल में हजारों जज़्बात….
कभी याद दिला देती है पुरानी बात।।
कभी दिखाती है अत्यधिक संघर्ष….
कभी भर देती है जीवन में हर्ष।।
कभी दे जाती है हताशा….
कभी बढ़ा देती है खुशियां बेतहाशा।।
कभी अल्फाज़ों से यादों को रखती है बरकरार….
कभी दिखा देती है एक ही व्यक्तित्व के अनेकों किरदार।।
कभी रूबरू कराती है वीरों की कथाओं से….
कभी व्यथित करा देती है मनुष्य की व्यथाओं से।।
कभी दिखाती है सफ़र है कितना दुर्गामी….
कभी दिखाती है असफ़लता और मात्र नाकामी।।
कभी देती है चेहरे पर मुस्कान….
कभी बताती है जिंदगी है कितनी आसान।।
ये हैं कुछ जिंदगी के वो रंग….
जो दिखते हैं कलम के संग।।।।
-ज्योति खारी