मोहब्बत के ज़ायके
तेरे संग बीते लम्हों का अचार बना लूँ,
सालों साल लज्ज़त बनी रहे मेरी मोहब्बत की,
मर्तबान मोहब्बत का अपने दिल की रसोई में सजा लूँ।
रक़ीबों की नज़र पीस डालूँ चटनी में,
एक छोटी सी...
सालों साल लज्ज़त बनी रहे मेरी मोहब्बत की,
मर्तबान मोहब्बत का अपने दिल की रसोई में सजा लूँ।
रक़ीबों की नज़र पीस डालूँ चटनी में,
एक छोटी सी...