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गाय
मुझे भाती है गाय,
वो हैं असहाय,
लोगो को केवल दूध ही भाय,
दूध पीने के बाद उसे खुले में छोड़ जाय,
गाय देती है उनको हाय।
कृष्ण जी गाय को चाहते थे,
दूध दही वो खाते थे,
कृष्ण जी उनको पालते थे,
चारा उनको खिलाते थे।
हम भी गाय का दूध पीते है,
दूध दही खाते है,
फिर भी हम उनको मारते है,
दुख हम उसको देते है,
पाप हम लेते है।
हमको आगे आना होगा,
दूध का फर्ज अदा करना होगा,
सुख उनको देना होगा,
कुछ अच्छा करना होगा।
गोशाला बनाओ,
आगे तुम आओ,
गायों को सुख पहुचाओ,
दवाई उनको दिलाओ,
ठीक उनको कराओ,
पुण्य तुम पाओ।
जब गाय कि होगी जय,
भारत होगा विजय,
भारत सदा रहेगा अजय।
© रूप(R.G.H.)
वो हैं असहाय,
लोगो को केवल दूध ही भाय,
दूध पीने के बाद उसे खुले में छोड़ जाय,
गाय देती है उनको हाय।
कृष्ण जी गाय को चाहते थे,
दूध दही वो खाते थे,
कृष्ण जी उनको पालते थे,
चारा उनको खिलाते थे।
हम भी गाय का दूध पीते है,
दूध दही खाते है,
फिर भी हम उनको मारते है,
दुख हम उसको देते है,
पाप हम लेते है।
हमको आगे आना होगा,
दूध का फर्ज अदा करना होगा,
सुख उनको देना होगा,
कुछ अच्छा करना होगा।
गोशाला बनाओ,
आगे तुम आओ,
गायों को सुख पहुचाओ,
दवाई उनको दिलाओ,
ठीक उनको कराओ,
पुण्य तुम पाओ।
जब गाय कि होगी जय,
भारत होगा विजय,
भारत सदा रहेगा अजय।
© रूप(R.G.H.)
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