चकना चूर ।
नहीं.... नहीं है आज मेरे पास कुछ लिखने को!
देखे थे जो सपने वो भी टूट गए।
मिले थे जो लोग वो भी आज दूर हो गए।
क्या नहीं है मुझे भी सपने देखने का हक...
अब तो होने लगा है अपनी...
देखे थे जो सपने वो भी टूट गए।
मिले थे जो लोग वो भी आज दूर हो गए।
क्या नहीं है मुझे भी सपने देखने का हक...
अब तो होने लगा है अपनी...