...

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भीगी पलकें🥺
भीगी पलकें लिए वह आज फिर अंधेरे कमरे में सोच रही है क्यों नहीं मान रही मैं हर यह कहकर वो खुद को कोश रही है कब टूटेगी सांसे मेरी यह सवाल कर वह खुद को पीट रही है क्यों नहीं लिखी खुशियां मेरे भाग्य में यह सवाल वह कृष्ण से पूछ रही है
© वंदना लोधी