...

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अंधेरी आहटें
खामोशियां सताती है
आहटें तड़पाती है
आंख बंद होने पर
नींद कहीं हो जाती है

खामोशियां ....

अकेला ही हूं
शायद अकेला ही रहूं
अकेला ही रहना चाहूं
सवाल बहुत सारे है
फिर भी खामोश सोना चाहूं

चाहे में खुश रहूं ... ना रहूं
चाहे में चुप रहूं ... ना रहूं
फिर भी ये खामोशियां चुननी पड़ती है
कईं बार बीते हुए कल के साये में
ये तड़पन भुननी पड़ती है

खामोशियां ....

आंखो में आंसू है
पलकें भी नम है
फिर भी बिन बतलाए सोना पड़ेगा
रोना जोर-जोर से आ रहा है
अब कहीं खुद में ही खोना पड़ेगा

चाहे में कितने ही आंसू गिरा लूं
चाहे में कितनी ही...