...

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ऐसा ही कहां जोड़ते हैं रिश्ते
#स्वीकार
अगर -मगर कुछ तो कहा होगा
उसने स्वीकार कुछ तो किया होगा
ऐसे ही कहा जुड़ते है रिश्ते
कोई बलिदान उसने दिया होगा
आंखों में आंसू छुपाए होंगे
विष का प्याला भी पिया होगा
क्यों मिला नारी का जन्म
वो खुद खुद को कोसती है
इश्क की आड़ में हवस बुझाते
वह जिस्म को अपने नोंचती है
वह घर को घर बनाए
सपनों से अंबर सजाएं
शांत है तो सरस्वती
आक्रोश में वो काली है
खून से सींचा था उसने
तो फूटी डाली डाली है
ऐसे ही नहीं भरे थे नैन उसके
किसी ने छल तो उससे किया होगा
ऐसा ही कहां जोड़ते हैं रिश्ते
स्वीकार तो उसने किया होगा
© Rohit kumar Tiwari