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# एक दीवाना
वो जो अकेला सा नज़र आता है
तन्हाइयों की महफ़िल में बैठा है
कुछ सुनाई किसीको देता नहीं
पर वो हज़ार कहानियां बयां कर रहा है
दुखीसा दिखने वाला वो शख्स
लोगो को हसने की वजह देरहा है
कोई पागल कहता कोई दीवाना कह देता है
वो अलबेला है बस मुस्कुरा देता है
सुन्ना है पहले वो भी हमारी तरह ही मूर्क था
इसी दुनिया को सच मानकर जिया करता था
दिल टूटा उसका ऐसा की सच से वाकिफ हुआ
जिस मदहोशी में हम जीते है उससे वो आज़ाद हुआ
फर्क इतना है की वो दीवानगी में सच तलाश रहा है
और हम सच को दीवानगी का नाम देरहे है
© khush rang rina
तन्हाइयों की महफ़िल में बैठा है
कुछ सुनाई किसीको देता नहीं
पर वो हज़ार कहानियां बयां कर रहा है
दुखीसा दिखने वाला वो शख्स
लोगो को हसने की वजह देरहा है
कोई पागल कहता कोई दीवाना कह देता है
वो अलबेला है बस मुस्कुरा देता है
सुन्ना है पहले वो भी हमारी तरह ही मूर्क था
इसी दुनिया को सच मानकर जिया करता था
दिल टूटा उसका ऐसा की सच से वाकिफ हुआ
जिस मदहोशी में हम जीते है उससे वो आज़ाद हुआ
फर्क इतना है की वो दीवानगी में सच तलाश रहा है
और हम सच को दीवानगी का नाम देरहे है
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