...

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आज की पीढी
वो अपने घर को ऐसे सजाने लगे
अपने पुरखों की यादें मिटाने लगे,

बूढ़े माँ बाप किसके ठिकाने लगे
बोझ सा जब ये बच्चे जताने लगे,

बेच दी गाँव की वो जमीनें सभी
खुद को हम हैं शहर के बताने लगे,

खर्च पड़ता नही पूरा है आजकल
जबकि मिलकर के दोनों कमाने लगे,

खरीदारी की ऐसी ये लत लग गयी
क़िस्त...