...

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सोचा कुछ लिखूं आज मोहब्बत पर
सोचा कुछ लिखूं मोहब्बत पर
जैसे ही कलम उठाया लिखने को
उनकी तस्वीर सामने आ गई
खो गई मैं ख्यालों में उनके
जुबान को मेरी शायरी आ गई
समझ ना पाई में यह हकीकत है
या खोई हूं खयालों में उनके
जब उनकी खुशबू मेरे हाथों से आ गई
उनके होने का एक एहसास हुआ
और बस मेरे लबों पर मुस्कुराहट आ गई
सोच कर बैठी थी कि कुछ तो लिखो आज मोहब्बत पर
लेकिन सोचते ही सोचते मुझे उनकी याद आ गई