...

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मौका-ए-दस्तूर
अच्छा होगा या बुरा पता नहीं।
एक बात कहनी सी होगी या अनसुनी सी।
मुलाकात अजीब होगी ये तय सी।
बात ना जाने छिप जायेगी जो सवाल वो गड जायेंगे।
एक सन्नाटा होगा लेकिन सब कह पायेगे।
आँखों की बात नासमझ बना देगी।
अजीब बातो का सरोबर रहेगा।
लेकिन कुछ बातो का जिक्र कम होगा।
शायद उन पल का इस पल में घमासान नहीं हो पायेगा।
चल देंगे राहो में फिर अपने।
एक आस मन में दब जायेगी।
फिर नहीं होगा ऐसा मंजर दोबारा इस पल सा,
आ कुछ तो कह दे अब एक मिला है मौका।
जरा नहीं केवल तक चलेगा,
इन बातों को कितना भार लिए चलेगा।

© 🍁frame of mìnd🍁