कविता
गिरना, संभलना ये सब आम है,
कभी खुशी-कभी गम यहीं तो जिंदगी का नाम है।
कोई रहे कोई ना रहे जाना सबको है,
वक्त का कौन मालिक जिंदगी किसकी हकदार है।
टूट जाना, बिखर जाना फिर सिमट के उठ जाना,
कभी किसी का गम बाटना कभी किसी को ख़ुश कर देना
यही तो जिंदगी का नाम है।
कोई रोते-रोते चुप ही जाएगा, कोई अपने चुप से टूट जाएगा
कभी किसी का वक्त साथ खड़ा होगा, कभी किसी का वक्त लड़खड़ाएगा
कहीं कोई रोएगा तो कहीं कोई अपनी कामयाबी पे चिलयगा,
किसी की आंखो मे समुंदर का एहसास होगा,
किसी का दिल फ़रिश्ते सा साफ होगा
कोई वक्त बदल देगा, या किसी को वक्त बदल देगा
यही तो जिंदगी का नाम है।
© reality mirror
कभी खुशी-कभी गम यहीं तो जिंदगी का नाम है।
कोई रहे कोई ना रहे जाना सबको है,
वक्त का कौन मालिक जिंदगी किसकी हकदार है।
टूट जाना, बिखर जाना फिर सिमट के उठ जाना,
कभी किसी का गम बाटना कभी किसी को ख़ुश कर देना
यही तो जिंदगी का नाम है।
कोई रोते-रोते चुप ही जाएगा, कोई अपने चुप से टूट जाएगा
कभी किसी का वक्त साथ खड़ा होगा, कभी किसी का वक्त लड़खड़ाएगा
कहीं कोई रोएगा तो कहीं कोई अपनी कामयाबी पे चिलयगा,
किसी की आंखो मे समुंदर का एहसास होगा,
किसी का दिल फ़रिश्ते सा साफ होगा
कोई वक्त बदल देगा, या किसी को वक्त बदल देगा
यही तो जिंदगी का नाम है।
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