...

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कुबूल है
तू मेरी मुहब्बत , तू मेरा जुनून है
तुझ से इश्क, करना ही मेरा गुनाह
मेरा कसूर है , इसलिए तेरा दिया हर
दर्द कुबूल है, तू फूलो का गुलदस्ता
दे या , कांटो का उपहार है,तेरी मर्जी
चाहे अपना ले मुझे या, ले मेरा
इंतहान, मैने अपनी जिंदगी कर दी है
तेरे नाम , फ़र्क नही पड़ता , अब
तबाह, हो या फनाह तू ही मेरी मुहब्बत
ओर तू ही मेरा गुनाह , कुबूल है
तेरी हर सज़ा........।



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