...

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टूटी ये हस्ती
टूटी ये हस्ती
टूटे ये अरमान
भुगता खामियाज़ा
क्या किया एहसान

मंज़िल ये धुन्धली
अब मन ना करता
बस खामियाज़ा
मैं भरता

अब तो क्या कहना
क्या बाकी है सुनना
बातों बातों में बस
अब ये रूठना

खामोशी अब तो ,
मुझे ये भाती
क्यों तुमने मुझको रोका
बस देदो मुझको एक मौका
क्यों दिया मैंने खुद को धोका

टूटी ये हस्ती
टूटे ये अरमान
भुगता ये खामियाज़ा
क्या किया एहसान
© yeshu