...

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अनमोल दौड़!!!

वैसे हर पल खास है,
पर जो दिल को छू ले,
वो अनमोल बन जाता है,
ऐसा एक पल है,
जिसका ज़िक्र यहाँ करूंगी,
चलते ही चलते,
ख्वाब सच होने लगे,
में अपने सपने की तरफ बढ़ रही थी,
आज बढ़ रही हूँ,
मेरा जुनून है,
मेरी कलम,
मेरे विचार,
मेरी सपनों की सीढ़ी है,
पर सीढ़ी लड़खड़ा सकती थीं,
पर, एक दिन कुछ ऐसा हुआ,
मुझे सकारात्मकता पर लिखना था,
उस समय, मैने शुरू ही किया था लिखना,
कुछ ज्यादा खास सोच नहीं पायी,
सोचा, मम्मी पापा को इस बारे में बताती हूं,
पर डर था, क्या कहेंगे???
क्या मेरा साथ देगे???
मेरे सपनों का हिस्सा बनेंगे???
कोशिस की मैने,
सब बताया,
तो, क्या हुआ????
सोच रहे हो ना!
हम सब साथ बैठकर सकारात्मकता पर विचार विमर्श करने लगे,
और एक सुन्दर कविता,
कुछ दो पंक्तियों लिखी,
मैं बहुत-बहुत खुश थी,
आज भी हो जाती हूँ,
उस पल को याद कर,
जब सब मेरे सपने के लिए,
विचारों की दौड़ लगा रहे थे,
ये जानकार और भी खुशी हुई,
मेरी बहन भी थीं उस दौड़ में,
देखते ही देखते,
वो पल अनमोल बन गया आज।



© Heart_sayer