दुख दर्द पीड़ा
मन मे चल रही अजब व्यथा है!
शब्द भंडार मेरा मुझसे खफा हैं!!
बोलना चाहता हूं खुदसे मगर!
मै खुद ही चुप और शांत हूं!!
उदास हूं ख़ुद लेकिन तुमसे नाराज़ हूं!
वजह ना मुझे समझ आती खामोशी की!!
तुम्हें क्या ही बताऊँ अपनी पीड़ा जान!
उम्मीदो का भंडार थी तुम थी मेरी शान!!
रोग वियोग किसका मुझे ये तुम पूछती हो!
सुख चैन छीन के...
शब्द भंडार मेरा मुझसे खफा हैं!!
बोलना चाहता हूं खुदसे मगर!
मै खुद ही चुप और शांत हूं!!
उदास हूं ख़ुद लेकिन तुमसे नाराज़ हूं!
वजह ना मुझे समझ आती खामोशी की!!
तुम्हें क्या ही बताऊँ अपनी पीड़ा जान!
उम्मीदो का भंडार थी तुम थी मेरी शान!!
रोग वियोग किसका मुझे ये तुम पूछती हो!
सुख चैन छीन के...