हकीकत 💓
बादलों के पीछे जैसे चांद हो छुपा हुआ,
एक चेहरे के पीछे जैसे, एक ओर हो दबा हुआ,
ये दुनिया ये लोग मुझे पहचान ना ले,
तो सोचा क्यों ना एक और पहचान बना लें,
अपनी हस्तरो से खुद ही डर के ,
मै हो गई ज़िंदा थोड़ा सा मर के ,
आसुओं को मुस्कुराहट में बदल कर,
फस गई कुछ झूट के दलदल में,
मेरे कवितायों से कर...
एक चेहरे के पीछे जैसे, एक ओर हो दबा हुआ,
ये दुनिया ये लोग मुझे पहचान ना ले,
तो सोचा क्यों ना एक और पहचान बना लें,
अपनी हस्तरो से खुद ही डर के ,
मै हो गई ज़िंदा थोड़ा सा मर के ,
आसुओं को मुस्कुराहट में बदल कर,
फस गई कुछ झूट के दलदल में,
मेरे कवितायों से कर...