...

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अज़नब़ी
अज़नब़ी भी कितने अपने लगने लगते हैं,
दिल की हर बात हम उनसे कहने लगते हैं,
अज़नब़ी से मिलना भी क्या खूब रहा,
ख़ुशबू उसकी मेरे तन मन में उतर गई,
सोचा ना था कभी किसी मोड़ पर मिलेगा एक अज़नब़ी,
खूबसूरत यादों का एक सफर दे जाएगा अज़नब़ी
कहने को अज़नब़ी,
किंतु दिल के सबसे करीब हो गया,
बड़ा ही बुद्धू है अज़नब़ी,
दिल की बात समझता नहीं,
और दिल में रहने लगा है अज़नब़ी
तस्वीर इसकी आंखों में बस गई है,
एहसासों में मेरे सबसे करीब रहने लगा है अज़नब़ी ‌।
❤️🌹❤️🌹❤️🌹❤️🌹😊😊😊😊😊