अज़नब़ी
अज़नब़ी भी कितने अपने लगने लगते हैं,
दिल की हर बात हम उनसे कहने लगते हैं,
अज़नब़ी से मिलना भी क्या खूब रहा,
ख़ुशबू उसकी मेरे तन मन में उतर गई,
सोचा ना था कभी किसी मोड़ पर मिलेगा एक...
दिल की हर बात हम उनसे कहने लगते हैं,
अज़नब़ी से मिलना भी क्या खूब रहा,
ख़ुशबू उसकी मेरे तन मन में उतर गई,
सोचा ना था कभी किसी मोड़ पर मिलेगा एक...