...

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ख़्वाब की शीशी
एक ख़्वाब की शीशी में,
रतजगा भरा जब,
मालूम था पशोपेश रहेगी,
मीँचने की पुडिया में,
जगना भरा तब,
जानते थे खीँचातानी चलेगी,
दो ऊँगलियों के बीच,
जब...