यादें
कुछ कहना था उनसे,
लेकिन हिम्मत कभी जुटा न पाया,
प्यार हैं सीने में, पर उसे कभी दिखा न पाया,
कितनी चाहत हैं उनसे, 'उनकों कभी बता न पाया,
कितना याद करता हूँ आज भी, ये क़भी जता न पाया
मोहब्ब्त हैं मुझें अग़र कह दिया होता,
तो शायद आज इसको लिखना नहीं पड़ता,
हम होते प्यार के साथ,
यू उदासी में बेवज़ह टूटना नहीं पड़ता,
काश की बया...
लेकिन हिम्मत कभी जुटा न पाया,
प्यार हैं सीने में, पर उसे कभी दिखा न पाया,
कितनी चाहत हैं उनसे, 'उनकों कभी बता न पाया,
कितना याद करता हूँ आज भी, ये क़भी जता न पाया
मोहब्ब्त हैं मुझें अग़र कह दिया होता,
तो शायद आज इसको लिखना नहीं पड़ता,
हम होते प्यार के साथ,
यू उदासी में बेवज़ह टूटना नहीं पड़ता,
काश की बया...