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जाने क्यु मोहब्बत निभा रही हूं
💔 अल्फ़ाज़ 💔
शायरी नहीं आती है मुझे
बस हाले-दिल सुना रही हूं!
बेवफाई का इल्ज़ाम है मुझ पर
फिर भी मुस्कुरा रही हूं।।
कत्ल करने वालों ने
कातिल भी हमें बना दिया,
खफा नहीं हूं उससे
ना जाने क्यु मोहब्बत निभा रही हूं💔
Dil ke Alfaaz
शायरी नहीं आती है मुझे
बस हाले-दिल सुना रही हूं!
बेवफाई का इल्ज़ाम है मुझ पर
फिर भी मुस्कुरा रही हूं।।
कत्ल करने वालों ने
कातिल भी हमें बना दिया,
खफा नहीं हूं उससे
ना जाने क्यु मोहब्बत निभा रही हूं💔
Dil ke Alfaaz
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