...

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घनश्याम
©®@Devideep3612
आओ घर मोरे घनश्याम...
तुम बिन कैसे, बीती मोरी रतियाँ,
कासे कहूं बहें, दिन रात अखियाँ..!
छेड़न लागे मोहे अब मोरी सखियाँ ।

आओ घर मोरे घनश्याम...
तोहे बिन अब कान्हा, लागे नही जियरा,
हरी हरी कहत, फिरे मन बावरा
फूल फूल कली कली, ढूंढे जिया भंवरा..!
©®@Devideep3612
छुप गए नंदलाल करे जोरा जोरी
कोमलांगी बनी मैं तो ब्रज की छोरी !!
जिया हिया हिलोरे मारे चुपकेसे चोरी,
कांसन लागे पिया कंचुक डोरी
आओ घर मोरे घनश्याम...

अब ना सतावो पिया मैं तो तेरी होरी
याद सतावन लागे तोरी बरजोरी..!
अंखियों से दूर भई नींद अब मोरी..!!
तोरे बिना लागे नही कसम से तोरी...।
आओ घर मोरे घनश्याम...

दरसन देख मोरी थकी है ये अँखियां
अनबुझ लागे मुझे अब मोरी सखियाँ
पुछन लागे अब तात तोरे मुखियाँ
इबहु ना सह पाऊं, व्याकुल मैं दुखियाँ।
आओ घर मोरे घनश्याम...
©®@Devideep3612