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रोशनी
एक चिराग है जो सबको राह दिखाया करता है,
तेज हवाओं से भी टकरा कर अपना रुख़त नही वो मोरा करता है।
ना जाने कितने असफलता की चोटी उसने पार कर,
सफ़लता की राह पहचानी है।
तब जाके उसने रातो को चैन की नींद बितायीं है।
हा वो एक लम्हा था जब वो कुछ पल को रुका था,
औरो की बातों को सुन वो थोड़ा थमा था।
पर तब भी वो ना हारा था,
मुस्कान अपनी चेहरे पे लिए वो मंज़िल की ओर दौड़ चला था।
क्योंकि वह एक चिराग़ है जो सबको राह दिखाया करता है।
तेज़ हवाओ से भी तकरा कर
रुख़त वह नही मोरा करता है।
© Priya kumari
तेज हवाओं से भी टकरा कर अपना रुख़त नही वो मोरा करता है।
ना जाने कितने असफलता की चोटी उसने पार कर,
सफ़लता की राह पहचानी है।
तब जाके उसने रातो को चैन की नींद बितायीं है।
हा वो एक लम्हा था जब वो कुछ पल को रुका था,
औरो की बातों को सुन वो थोड़ा थमा था।
पर तब भी वो ना हारा था,
मुस्कान अपनी चेहरे पे लिए वो मंज़िल की ओर दौड़ चला था।
क्योंकि वह एक चिराग़ है जो सबको राह दिखाया करता है।
तेज़ हवाओ से भी तकरा कर
रुख़त वह नही मोरा करता है।
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