तरस जाता है मन
#अलविदा
तरस जाता है मन अपने हीं आदतों को छोड़ने में ।
भटक जाता है मन अपने हीं सपनों को टूटने पे ॥
रिश्ता इतना गहरा होता है कि भूल नहीं पाता है मन ।
आदतों को मन भूला दे पर भूला नहीं पाता है तन ॥
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तरस जाता है मन अपने हीं आदतों को छोड़ने में ।
भटक जाता है मन अपने हीं सपनों को टूटने पे ॥
रिश्ता इतना गहरा होता है कि भूल नहीं पाता है मन ।
आदतों को मन भूला दे पर भूला नहीं पाता है तन ॥
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