...

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क्या अदा है उसकी
क्या अदा है उसकी एक एक
करके बताता हूँ सभी
पलकें झपकी है मैंने
पायल पहनकर खवाबों में चली आयी हो जैसे अभी अभी

उसकी मासूमियत का क्या जिक्र करूँ
जैसे कलियों ने जाम छलकाया हो अभी अभी
धड़कन में सरगम सी बजी है
जैसे उसने कगंन खनकया हो अभी अभी

इस कदर समा गई वो मेरी निगाहों में अभी अभी
जहाँ भी देखूँ नज़र आती है वही वही
मंदिर में दीये जल उठे है
जैसे उसने मुसकुराया हो अभी अभी

कोई बात तो है उसके लबों पर
छलकती है लबों से सबनम उसके
जैसे गुलाबों में भरा हो जाम कोई

वो आ जाए तो तकदीर संवार सकती है
न जाने क्यों इंतज़ार है उसका
जैसे फिज़ाओं में बह चली हो
खुशबू कोई
क्यों आज बादलों में खुशियों के रंग
भर गये है
क्यों मौसम सुहाने से हो गये है
जैसे बरसों बाद मिल रहें हो प्रेमी कोई

छू कर गुज़री है वो मुझे
पूरा बदन महका है उसकी खुशबू से अभी अभी
अपनी हाथों की मेंहदी में मेरा नाम लिखती है
मुझे कन्हा कहती है कभी कभी।















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