...

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चुप ही रहने दो
सियासत की बातें न करो
बस हमें चुप ही रहने दो
झूठ हमसे ना बोला जाएगा
बस हमें चुप ही रहने दो

जो भी किए थे बड़े-बड़े दावे
सब नाकाम हो गए
क्यों धर्मांध मानसिकता के
हम गुलाम हो गए

उतनी ही ढील छोड़ो
जितनी लपेट पाओ
बिना पेंच अपनी
पतंग मत कटवाओ

ऊब गई जनता मंहगाई का कुछ नहीं बनता
दो हजार पेंशन, और महीने भर का राशन

कुछ तो हालात पे गौर करो
दिख रहा है जो वही कहने दो
या फिर चुप ही रहने दो।
© PJ Singh