...

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अरमान
मै चाहता हूं,
मै चाहता हूं , मेरे ज़हन से सवाल निकले
सवाल ऐसा कि सब दिलों का गुमान निकले
कि इक परिंदा क़फस में बैठा सोच रहा है
वो भी उड़ सकता है उतना ही कि जितना
उड़ सकते हैं सारे पंछी
या फिर उससे भी ज़्यादा
अब देखना ये है कि ये उसका गुमान है या फिर हक़ीक़त
मै चाहता हूं ,
क़फ़स से ये परिंदा हाल निकले
किसी की बातों में आकर सब कुछ कर रहा हूं
मै अपना चाह कर भी कुछ न कर रहा हूं
न जाने क्यूं ये सारी बातें मेरे अंदर
रफ्ता रफ्ता मुंजमिद सी हो रही हैं
कि जैसे सब कुछ साज़िशन ही चल रहा है
कोई तो है जो वबाल बनकर मेरे अंदर
चल रहा है , पल रहा है
मै चाहता हूं
मेरी...