...

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अनजान
अनजाने रास्ते पे जब कोई अनजान मिलती है|
हाई हैलो करके जब पहचान होती है |
उन अनजान रास्तों में जैसे इंद्रधनुष की परछाई दिखने लगती है |
और मुलाकातों के सिलसिलों की जैसे लत लगने लगती है |
चलता है फिर सिलसिला एक नशे का |
रगों में बह गया खून उसके डशे का |
कंपन हो गई दिल में उसके ताशे का |
डोल रहा था मन एक प्यासे का |
प्यास थी एक साथ की, ज़ज्बात की
चंद पल में ये खत्म हो जाएं दूरियाँ, उस विश्वास की |





© Abhishek mishra