शोर
ज़माने में मोहब्बत सबको है
फिर भी खुद से तन्हा तन्हा रहते है
ये मोहब्बत भी न बड़ी
ही खूबसूरत होती है
दिल ही में छुपा भी रहता है और
तन्हाई का शोर भी बड़ा करता है
ये मोहब्बत समझ ही नही आता है आखिर है क्या
फिर भी खुद से तन्हा तन्हा रहते है
ये मोहब्बत भी न बड़ी
ही खूबसूरत होती है
दिल ही में छुपा भी रहता है और
तन्हाई का शोर भी बड़ा करता है
ये मोहब्बत समझ ही नही आता है आखिर है क्या
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