...

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मैं वहाँ था
मैं निकला एक सफर पर,
तुझसे जाने दूर,

मैं जा रहा था,
तेरी आँखों से ओझल हो रहा था!

अब मैं इतनी दूर था की,
बस एक दिल ही था तुम्हारे नज़दीक

आँखे तुम्हारी नम थीं,
नजदीकियां थोड़ी कम थी!

ये तो है जीवन चक्र,
जहाँ से चले थे आना फिर वही,

तुमको लगा मैं दूर गया,
दूर जाके तुम्हारे ही तो पास आ गया!

तुम मुझे देख नहीं पाये इस बार,
मैं आगे नहीं,
तुम्हारे साये में था अब की बार!

© Nit