मजबूरी, जिंदगी एक मजदूरी
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
ये भी एक मजबूरी है
जीना भी मजबूरी है।
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झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
ये भी एक मजबूरी है
जीना भी मजबूरी है।
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