...

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मजबूरी, जिंदगी एक मजदूरी
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
ये भी एक मजबूरी है
जीना भी मजबूरी है।

ये सबसे जरूरी है
हर कोई यहाँ किसी न किसी का मजदूर है..।
इसमे नया न कोई मूल है
कोई इसका कोई उसका
सब होता एक मजदूर है,,।
जीना भी मंजूर है
जिंदगी एक मजदूर है।।
© #Itz_writer_Preeti
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