Do i have a right to say...
पक्षी बनकर चहकना है
उन्मुक्त गगन में,
मगर किसी पिंजरे में कैद ना होने पाऊं
सागर की लहरों से टकराना
है मुझको
मगर दो...
उन्मुक्त गगन में,
मगर किसी पिंजरे में कैद ना होने पाऊं
सागर की लहरों से टकराना
है मुझको
मगर दो...