...

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दिल की ही बातें बोल।
मैं भी अपनी बातें बोलूं तुम भी अपनी बातें बोल।
बाद की बातें बाद में पहले दिल की ही बातें बोल।

कैसा रिश्ता कैसा डरना कैसी दूरी कैसी मज़बूरी।
आगे पिछे दाएं बाएं देख समझ के तू पत्ते खोल।

रो ले तू जी भरके दर्द भरी है सीने में धूल जाएगी।
आंखों से आंसू निकले मोती से महंगे उसके मोल।

दिल की बातें दिल में रखना घुट-घुट के है ये मरना!
ऐसा क्या है जीना मरना तू दुख को सूख में खोल।

ना हो कोई सुनने वाला ना हो कोई समझने वाला!
साथ है तेरे ऊपर वाला ना बन जाओ तू अन-बोल।

महज़ तो बस फ़ानी है ये दुनियां उसकी दिवानी है।
महज़ हाथ जोड़ के सबसे कहता आप है अनमोल।
© महज़

"अन-बोल: जो अपना सुख-दुःख न कह सके।
फ़ानी: नष्ट हो जाने वाला"