...

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इक तारा
हर रोज़
छत के उस
कोने से
टुकुर नजरों
से मेरी
राह जो तुम
तकती हो।
और एक आह
भर मेरा नाम लेना
ओह, ये तारा!

तुम्हारी मुरझाईं
आंखों को
देखकर,
जी करता है
टूट कर
बिखर जाऊं
वहीं कहीं
तुम्हारे आस-पास।
कण में...