...

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दास्तान ए इश्क ❤️
बारिश का मौसम
आंखों की अहाटें
हम तुम और कोई फिसलने की आवाज
अचानक! सब खामोश

वापिस बूंदों को गिरने की आवाज़
खिलखिलाती हुई हमारी खामोशियां
अजीब सी रातें, गज़ब सी बातें
याद है वो कुछ??

याद है तुम्हे क्या??
फिर पीछे मुड़ने के नाटक से
निगाहें मिलते हुए
हाए! शर्मा जाती थी हवाएं भी

वो जो आंखों की गुस्ताखियां
तुम्हारे एक नजर से माफ हो जाती थी
वो जो वक्त की रेत पर कभी
दो दिलों की दास्तान लिखी जाती थी

याद है वो कुछ?

जब हसने की बारी थी
फिर बताओ क्यों आज
उन ख्वाबों के तुम वजह बने
जो सिर्फ इन नैनों से गिरी

फिर जब बातें दोनो की थी
तो क्यों तुम खामोश रह गए
खुशियों के आंचल पर
क्यों टुकरे दिल की छोर गए

जरूरी है क्या बहुत
की प्यार सिर्फ बारिश में हो
सफेद से इस कागज को
आंसू के संग बहना हो

दो दिलों की खामोशियां
जब आवाज मुस्कान की बन जाए
और ख्वाबों को ठंडक पर
लहरे आंसू की बारिश लाए

शायद, शायद तभी दास्तान ए इश्क लिखी गई थी
© Sabita