...

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सीमा तक ।
कहते हैं हर चीज़ ना तो बहुत थोड़ी अच्छी लगती है और न बहुत ज्यादा अच्छी लगती है।

जैसे
कोई किसी से मतलब ना रखे तो उसे घमंडी कहा जाता है और अगर किसी से ज्यादा मतलब रखे तो आवारा कहा जाता है.....

जैसे,
अगर किसी को काम करने पर एक बार थैंक यू बोलो तो कहते हैं इतना भी नहीं की थैंक यू सो मच बोल देता और ज्यादा थैंक यू बोलो तो कहते हैं इतना धन्यवाद देने की जरूरत नहीं..
कमाल है ना!!

वैसे ही,
अगर एक sorry रिश्ता बचा सकता है तो ज्यादा sorry स्वाभिमान घटा भी सकता है।

इसलिए हर चीज सीमा में ही सही होती है..... ना तो सीमा से थोड़ी भी कम और ना ही सीमा से थोड़ी भी ज्यादा।

और वो एक कहावत भी है ना.. ना तो किसी से नीम से ज्यादा कड़वे बनो और न गुड़ से ज्यादा मीठे। 😊🙃

(this is not a poem... bas mann mei aaya to likh daala ) and kbhi kbhi insaan ko bas jyada ache hone ki sja milti hai to bas isliye ye yaad dilane ke liye likha 😌🌈💫