दादा जी और मेरा बचपन 🤗
#स्मृति_कविता
😍😍
बचपन के वें दिन सुनहरे
बहुत ही प्यारे थे।
दादी जी को तो हमने देखा नहीं
दादा जी बहुत ही प्यारे थे।
😍😍
बैठकर दादा के घोड़े पर
खेत घुम कर आतें थें।
सुबह सुबह खेतों में जाकर
आम तोड़ कर लातें थें।
दादी जी को तो हमने देखा नहीं
दादा जी बहुत ही प्यारे थे।
😍😍
बंटवारा हुआ था जब घर का
दादा जी हिस्से हमारे आएं थें।
दादा जी को पाकर sk हम
भाई बहन बहुत ज्यादा हर्षाए थें।
दादी जी को तो हमने देखा नहीं।
दादा जी बहुत ही प्यारे थे।
😍😍
पोते-पोतियों में दादा जी
भेदभाव बिल्कुल नहीं करते थे।
पास बिठा कर दोनों को ही
अपनी थाली में खाना खिलाते थे।
दादी जी को तो हमने देखा नहीं
दादा जी बहुत ही प्यारे थे।
😍😍
बहुत बड़ी बैठक थी हमारी
जिसमें दादा जी हमारे बैठते थे।
आसपास के सब...
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बचपन के वें दिन सुनहरे
बहुत ही प्यारे थे।
दादी जी को तो हमने देखा नहीं
दादा जी बहुत ही प्यारे थे।
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बैठकर दादा के घोड़े पर
खेत घुम कर आतें थें।
सुबह सुबह खेतों में जाकर
आम तोड़ कर लातें थें।
दादी जी को तो हमने देखा नहीं
दादा जी बहुत ही प्यारे थे।
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बंटवारा हुआ था जब घर का
दादा जी हिस्से हमारे आएं थें।
दादा जी को पाकर sk हम
भाई बहन बहुत ज्यादा हर्षाए थें।
दादी जी को तो हमने देखा नहीं।
दादा जी बहुत ही प्यारे थे।
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पोते-पोतियों में दादा जी
भेदभाव बिल्कुल नहीं करते थे।
पास बिठा कर दोनों को ही
अपनी थाली में खाना खिलाते थे।
दादी जी को तो हमने देखा नहीं
दादा जी बहुत ही प्यारे थे।
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बहुत बड़ी बैठक थी हमारी
जिसमें दादा जी हमारे बैठते थे।
आसपास के सब...