...

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वो ख्वाब मांगने लगी
मेरी ज़िन्दगी सवाल थी, वो जवाब मांगने लगी
मैं रात भर सोता कैसे, वो ख्वाब मांगने लगी

हम ज़रा लड़खड़ाए क्या, ठोकर खिताब मांगने लगी
मेरी डायरी के दो पन्ने पढ़कर, वो पूरी किताब मांगने लगी

तुम्हारी दिल्लगी की खातिर बता तो मैं वैसे भी देता
न जाने क्यूं तुम सारे राज़, सरेआम मांगने लगी

औरत ने ज़रा उड़ने की क्या सोंची, दुनिया पंखों का हिसाब मांगने लगी
बोली, बावली चांदनी की हिमाकत तो देखो, पूरा आसमान...