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WANDERLUST
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गुमनाम सा फिरे मुसाफ़िर
एक मंजिल की तलाश में
निकला था सफ़र घूमने मगर
कहलाएं बंजारा बेसुन प्यार में
दूर तक जाना था उसे
एक उम्मीद की मज़ार पर
पत्थर सा चुभे हर क़दम
उस अनजानी राह पर
कोसो मिलो दूर का सफ़र
तय करना हुआ मुश्किल
सबके देखने का जब नज़रिया बदला
तब चलना हुआ मुश्किल
न हम ठहरे पानी की तरह बचे
न रिश्तों में ठहराव बचा
बंजारे कहलाएं अपनों की बस्ती में
न घाट में तेराव बचा
चल छोड़ उस राह को
मंजिल को धोखेबाज न कह
अपने पराए के बीच में फर्क तो समझ
सफ़र को बेईमान न कह
© firkiwali
गुमनाम सा फिरे मुसाफ़िर
एक मंजिल की तलाश में
निकला था सफ़र घूमने मगर
कहलाएं बंजारा बेसुन प्यार में
दूर तक जाना था उसे
एक उम्मीद की मज़ार पर
पत्थर सा चुभे हर क़दम
उस अनजानी राह पर
कोसो मिलो दूर का सफ़र
तय करना हुआ मुश्किल
सबके देखने का जब नज़रिया बदला
तब चलना हुआ मुश्किल
न हम ठहरे पानी की तरह बचे
न रिश्तों में ठहराव बचा
बंजारे कहलाएं अपनों की बस्ती में
न घाट में तेराव बचा
चल छोड़ उस राह को
मंजिल को धोखेबाज न कह
अपने पराए के बीच में फर्क तो समझ
सफ़र को बेईमान न कह
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