...

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Kismat ki Meherbani
भटक गए हम राहों में मंज़िल का ठिकाना नहीं था

ले गई जिंदगी उन राहों में जहां हमें जाना नहीं था

कुछ क़िस्मत की मेहरबानी कुछ हमारा कसूर था

हमने खो दिया सब कुछ वहां जहां कुछ पाना नहीं था