...

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तिरंगा
ऐसे हूँ तो स्वतंत्र मैं ,
पर मजहबो के खेल में बँट सा जाता हूँ।
इरादे फौलाद से है मेरे ,
मगर फिर भी दंगों में जला दिया जाता हूँ।
शान से सब फहराते तो है मुझे ,
पर सीमाओं की बंदिशें भी लगा दिए जाते है।
हाँ मैं शौर्य , अमन और आज़ादी में रंगा ,
अपने भारत वर्ष का अभिमान हूँ ,
मैं ऐसा तिरंगा हूँ।

हुआ निर्माण मेरा देश में एकता और शांति पताका फहराने को ,
पर...